
Priyanka Bhardwaj
Apr 14, 2023
पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को फेल कर भारत ने कैसे दुनिया की 'छत' पर बनाया बेस, सियाचिन की वो कहानी
Siachin News: 1984 में 'ऑपरेशन मेघदूत' के जरिए भारत ने पाकिस्तान की साजिशों को नाकाम कर दिया और दुनिया की 'छत' माने जाने वाले सियाचिन पर अपना बेस बनाया। बेहद कठिन हालात में भी तकनीक और जज्बे ने सियाचिन में भारतीय जवानों को रुकने में अहम भूमिका निभाई है। सड़क, पुल और हेलीकॉप्टर से अब यहां रसद पहुंचाना आसान हुआ है।
1984 में भारतीय जवानों ने ऑपरेशन मेघदूत चलाया, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान की महत्वाकांक्षाओं को विफल कर दिया। यही नहीं दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र, सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा जमा लिया। कठिन परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद, भारत के संकल्प और टेक्नोलॉजी ने सियाचिन यहां तैनात जवानों को बड़ा सहयोग पहुंचाया। सड़क, पुल और मेडिकल सुविधाओं के साथ-साथ बुनियादी ढांचे का विस्तार इस क्षेत्र में हुआ। इसके साथ ही हेलीकॉप्टर और ड्रोन से रसद सहायता में सुधार किया गया। हालांकि, इन इलाके में 1984 के बाद से अब तक 1,150 से अधिक भारतीय जवानों ने बेहद खराब मौसम के चलते अपनी जान गंवा दी।
सियाचिन पर कब्जा क्यों है अहम
सॉल्टोरो रिज पर भारत की उपस्थिति चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग को रोकने और काराकोरम दर्रे की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। हेलीकॉप्टर और वीएसएटी तकनीक सैनिकों के सपोर्ट में अहम भूमिका निभाते हैं। सियाचिन, भारत की दृढ़ता और तकनीकी प्रगति को दर्शाता है, जहां रहने की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कोशिशें जारी हैं। भारतीय जवान दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा में जुटे दिख रहे हैं। हालांकि, शुरुआती वर्षों में कठिन हिमनद ऊंचाइयों पर जाना बेहद कठिन था। भारतीय जवानों को यहां 'पहले जीवित रहना था और फिर लड़ना था'। हालांकि, बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी और मेडिकल सुविधाओं से हालात बदल चुके हैं। आज के समय में विशेष उपकरणों, हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर, लॉजिस्टिक ड्रोन और ऑल टेरेन व्हीकल को शामिल करने से सियाचिन ग्लेशियर और साल्टोरो रिज क्षेत्र पर भारत ने अपने नियंत्रण को लगातार मजबूत किया है।